क्यूँ आज उस कराहती मर्दानी को देखिये ?
क्यूँ दरिंदगी की दिल्ली - निशानी को देखिये ?
होता है यह तमाशा , हर दौर , हर शहर :-
जाईए आप अपनी परेशानी को देखिये !!
बीमार मर्दानगी से मग़रूर यहाँ लोग ;
शराफ़त की नपुंसक जवानी को देखिये !!
क्यूँ रात में भी बेटियाँ महफ़ूज़ चले कोई ?
सड़कों पर पसरी हैरानी को देखिये !!
जड़ते हैं नसीहत और बहकते नशे में हैं ;
आँखों के मरते हुए पानी को देखिये !!
" नर्क " को भी क्या जगह दें , मिसाल में :-
शर्मसार होती राजधानी को देखिये !!
# राजेश पाण्डेय
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