Friday 21 December 2012

दिल दहलाती दिल्ली !!


It is entirely in keeping with Indian tradition and culture to blame and shame the victim of rape rather than the rapist.



क्यूँ आज उस कराहती मर्दानी को देखिये ?
क्यूँ दरिंदगी की दिल्ली - निशानी को देखिये ?
होता है यह तमाशा , हर दौर , हर शहर :-
जाईए  आप अपनी परेशानी को देखिये !!
बीमार मर्दानगी से मग़रूर यहाँ लोग ;
शराफ़त की नपुंसक जवानी को देखिये !!
क्यूँ रात में भी बेटियाँ महफ़ूज़ चले कोई ?
सड़कों पर पसरी हैरानी को देखिये !!
जड़ते हैं नसीहत और बहकते नशे में हैं ;
आँखों के मरते हुए पानी को देखिये !!
" नर्क " को भी क्या जगह दें , मिसाल में :-
शर्मसार होती राजधानी को देखिये !!

                               # राजेश पाण्डेय